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जानिए क्या कहा Virat Kohli के टीचर ने उनके बारे में

Virat Kohli Journey

कहते हैं कि अगर सपना देखो, तो बड़ा देखो। क्योंकि बड़े सपने ही इंसान को आगे बढ़ने की ताकत देते हैं। लेकिन सिर्फ सपना देखने से कुछ नहीं होता। उसे पूरा करने के लिए मेहनत, लगन और आत्मविश्वास की ज़रूरत होती है। कुछ ऐसा ही किया भारत के स्टार बल्लेबाज़ Virat Kohli ने।

आज Virat Kohli का नाम क्रिकेट की दुनिया में बहुत बड़ा है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उनका यह सफर एक छोटे से सपने से शुरू हुआ था। एक ऐसा सपना जो उन्होंने अपने बचपन में देखा था – “मैं अगला सचिन तेंदुलकर बनूंगा।”

टीचर ने किया बड़ा खुलासा

हाल ही में Virat Kohli की स्कूल टीचर विभा सचदेव ने मीडिया से बातचीत में बताया कि जब विराट छोटे थे, तब वह हमेशा कहते थे कि वह बड़ा होकर भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर की तरह बनना चाहते हैं। उस उम्र में जहां बच्चे खेल-कूद में मस्त रहते हैं, विराट के मन में एक बड़ा सपना था। भारतीय टीम में खेलना और देश का नाम रोशन करना।

उनकी टीचर ने बताया कि विराट शुरू से ही बहुत एक्टिव छात्र थे। वे स्कूल की हर एक्टिविटी में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। चाहे वह स्पोर्ट्स हो या कोई और कार्यक्रम, विराट हमेशा आगे रहते थे।

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सपना जो हकीकत बन गया

विराट कोहली ने सिर्फ सपना देखा ही नहीं, बल्कि उसे पूरा करने के लिए हर दिन मेहनत की। उन्होंने अपने खेल को लगातार निखारा, खुद को बेहतर बनाने पर फोकस किया और कभी हार नहीं मानी।

आज वही विराट कोहली भारत के सबसे भरोसेमंद और सफल बल्लेबाजों में से एक हैं। उन्होंने ना सिर्फ तेंदुलकर जैसा बनने का सपना पूरा किया, बल्कि खुद को भी एक महान खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया। उन्हें अब तेंदुलकर का उत्तराधिकारी कहा जाता है।

IPL 2025 में भी उनका प्रदर्शन शानदार रहा है। अब तक 11 मैचों में 505 रन बना चुके हैं, जो इस सीजन के सबसे ज़्यादा रन हैं। यह दिखाता है कि वह आज भी उसी जुनून और जोश से खेलते हैं, जैसा उन्होंने बचपन में ठान लिया था।

विराट कोहली का सफर सिर्फ रिकॉर्ड्स और रन बनाने का नहीं है, बल्कि यह एक इंसान के अंदर छिपी ज़िद, जुनून और आत्मविश्वास की असली कहानी है। उन्होंने जिस तरह अपने बचपन में ही ठान लिया था कि उन्हें तेंदुलकर जैसा बनना है, वह दर्शाता है कि जब सोच साफ होती है, तो रास्ता अपने आप बनता जाता है।

Virat Kohli Journey

कोहली ने अपने करियर की शुरुआत 2008 में की थी, जब भारत ने U-19 वर्ल्ड कप जीता था। उस समय भी वह कप्तान थे और उनकी कप्तानी में भारत विजेता बना। इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे भारतीय टीम में जगह बनाई और खुद को साबित किया।

एक ऐसा समय भी आया जब उनकी फॉर्म खराब रही, लेकिन विराट ने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने खुद को मानसिक रूप से मज़बूत किया, फिटनेस पर ध्यान दिया और फिर वापसी की। उन्होंने दिखा दिया कि “फॉर्म अस्थायी हो सकती है, लेकिन क्लास स्थायी होती है।”

टीम इंडिया के लिए कोहली सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि एक प्रेरणास्रोत हैं। उनकी बातों से, उनके खेल से और उनके व्यवहार से युवा खिलाड़ियों को सीखने को बहुत कुछ मिलता है। वह हमेशा मैदान पर 100% देने में विश्वास रखते हैं, चाहे हालात जैसे भी हों।

विराट कोहली सिर्फ मैदान पर ही नहीं, बल्कि मैदान के बाहर भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं। उन्होंने अपनी जिंदगी में अनुशासन को हमेशा प्राथमिकता दी है। फिटनेस के मामले में उन्होंने भारतीय क्रिकेट में क्रांति ला दी। पहले जहां खिलाड़ी फिटनेस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते थे, वहीं विराट ने इसे एक आदत बना दिया। आज पूरी टीम उनकी राह पर चलती है।

इसके अलावा विराट सामाजिक कामों में भी आगे रहते हैं। उन्होंने “विराट कोहली फाउंडेशन” के जरिए बच्चों की शिक्षा और खेलों के विकास के लिए कई पहल की हैं। इससे साफ होता है कि वह सिर्फ एक बड़े खिलाड़ी नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार इंसान भी हैं, जो समाज को कुछ लौटाना जानते हैं।

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